अधिनियम के प्रमुख प्रावधान

मध्यप्रदेश राज्य में कृषि उपजों का बेहतर नियमन एवं नियंत्रण स्थापित करने, कृषि उपज के उत्पादको को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने एवं उन्हें शोषण से मुक्त कराने, विक्रेताओं एवं क्रेताओं को सर्व सुविधायुक्त बाजार उपलब्ध कराने तथा मंडियों में बेहतर प्रशासनिक व्यवस्था स्थापित करने के लिये मध्यप्रदेश कृषि उपज मंडी अधिनियम 1972 (क्रमांक 24 वर्ष 1973 दिनांक 1 जून 1973) से प्रभावशील किया गया है। अधिनियम के प्रमुख प्रावधान निम्नानुसार है :-

  • संशोधित प्रावधान के अनुसार अब मंडी समितियों के अधिपत्य की भूमि राज्य सरकार द्वारा बनाये गये नियमों के अधीन नामांतरण की जा सकेगी।
  • पराज्य की महिला नीति के अनुरुप मंडी समितियों के गठन में भी मंडी समितियों के कृषक प्रतिनिधियों एवं मंडी समितियों के अध्यक्षों के लिये एक तिहाई स्थान महिलाओं के लिये आरक्षित किये गये हैं।
  • शासन द्वारा वर्तमान मंडी फीस की दरें अधिसूचित कृषि उपज की कीमत के प्रत्येक रूपये 100/- पर रूपये 2/- के स्थान पर रूपये 1.50/- नियत है। जिन अधिसूचित कृषि उपजों पर वर्तमान में रूपये 1.50/- या उससे कम मंडी फीस की दर लागू है वह यथावत लागू रहेंगी।
  • प्रदेश में अधिसूचित कृषि उपजों का व्यापार करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को संबंधित मंडी समिति से नियमानुसार अनुज्ञप्ति प्राप्त करना एवं अधिनियम, नियम तथा उपविधियों के अधीन व्यापार करना अनिवार्य है। उल्लघंन की दशा में मंडी समिति द्वारा किसी भी समय दाण्डिक कार्यवाहियों के साथ-साथ अनुज्ञप्ति निलंबित तथा निरस्त की जा सकती है।
  • मंडी प्रांगण में अधिसूचित कृषि उपजों का विक्रय खुली नीलामी पद्धति तथा नमूने के आधार पर भी नीलामी द्वारा सौदा पत्रकों के द्वारा किया जा सकता है।
  • कृषि उपज जिनका शासन द्वारा निर्धारित मापदण्डों के अधीन समर्थन मूल्य घोषित किया हो ऐसी उपजों के लिये मंडी प्रांगण में कोई भी बोली समर्थन मूल्य से कम कीमत पर प्रारंभ नहीं होने दी जायेगी।
  • मंडी प्रांगण/उपमंडी प्रांगण/क्रय केन्द्रों पर क्रय की गई अधिसूचित कृषि उपजों का भुगतान विक्रेता को उसी दिन मंडी प्रांगण में करना अनिवार्य है अन्यथा क्रेता द्वारा विक्रेता को 5 दिवस तक एक प्रतिशत प्रतिदिन की दर से अतिरिक्त भुगतान दण्ड स्वरुप देना होगा ओर 5 दिवस तक भी भुगतान न करने पर 6 वें दिन से क्रेता व्यापारी की अनुज्ञप्ति स्वमेव निरस्त समझी जावेगी।
  • मंडी प्रांगण में क्रय की गई अधिसूचित कृषि उपजों की सही तौल मंडी के अनुज्ञप्तिधारी तुलैयों से चक्र पद्वति में कराये जाने का प्रावधान है तौल में अनियमितता पाये जाने पर मंडी समिति द्वारा तुलैया की अनुज्ञप्ति निरस्त की जा सकती है।
  • मंडी प्रागंण में अधिसूचित कृषि उपजों की उसी दिन बिक्री ना होने पर मंडी समितियों के गादामों अथवा वेयर हाउस में उपज रखने की व्यवस्था है।
  • मंडी प्रांगण में कृषक-विक्रेता की ओर से कोई भी आढ़तिया कार्य नहीं कर सकता है और न ही कृषक-विक्रेता से कोई कमीशन उपज बिक्री के लिये वसूल किया जा सकता है।
  • राज्य सरकार में सहकारिता को प्रोत्साहित करने की दृष्टि से मंडी समितियों को प्राप्त होने वाली समस्त आय एवं मंडी बोर्ड को प्राप्त होने वाली समस्त निधि सहकारी बैंको में जमा करना अनिवार्य है।
  • मंडी क्षेत्रों में अधिसूचित कृषि उपजों के विपणन पर सुचारू नियंत्रण स्थापित करने की दृष्टि से उपविधि के उल्लंघन पर मंडी समिति को रूपये 2000/- (दो हजार) एवं मंडी अध्यक्ष को उल्लंघनकर्ता के विरूद्व रूपये 500/- (पॉच सौ) अर्थदण्ड अधिरोपित करने की शक्ति प्रदत्त की गई है।
  • किसी भी मंडी समिति के मंडी क्षेत्रों की सीमाओं में परिवर्तन होने पर विपाटन या समामेलन की स्थिति में अब संबंधित मंडी समितियों के विघटन उपरान्त शेष लंबित कालावधि के लिये राज्य सरकार द्वारा भारसाधक समिति को नामनिर्दिष्ट किये जाने का प्रावधान किया गया है।
  • कृषि उपजों के क्रेता एवं उत्पादकों को मंडी प्रांगण के बाहर अन्य स्थान पर कृषि उपजों के क्रय विक्रय की सुविधा :- धारा 36 एवं 37 में संशोधन कर विनिर्दिष्ट मंडी प्रांगण के अलावा उपविधियों में यथा उपबंधित अन्य स्थान पर भी कृषि उपजों के क्रय विक्रय हेतु प्रावधान लाया गया तथा तदानुसार मंडी समितियों की उपविधि में मंडी प्रांगण के बाहर ''क्रय केन्द्र '' स्थापित कर उत्पादकों से कृषि उपजों की सीधे खरीदी एवं विक्रय करने के प्रावधान प्रभावशील किये गये हैं।
  • संविदा खेती :- प्रदेश में अधिसूचित कृषि उपजों के उत्पादकों को उनकी उपजों के बेहतर उत्पादन एवं लाभकारी विपणन व्यवस्था उपलब्ध कराने की दृष्टि से मंडी अधिनियम की धारा 37 में संशोधन कर संविदा खेती के प्रावधान प्रभावशील किये गये हैं।
  • एक से अधिक मंडी क्षेत्रों में अधिसूचित कृषि उपज की खरीदी के लिये एकल लायसेंस प्रणाली :- प्रदेश के अधिसूचित कृषि उपजों के विपणन को और अधिक प्रतिस्पर्धात्मक एवं सरल तथा सुचारू विपणन व्यवस्था स्थापित करने की दृषि से धारा 32-क अन्त:स्थापित कर एकल लायसेंस प्रणाली प्रभावशील करते हुये म0प्र0 कृषि उपज मंडी (एक से अधिक मंडी क्षेत्रों के लिये विशेष अनुज्ञप्ति) संशोधन नियम वर्ष 2009 प्रभावशील किये गये हैं।
  • फूलों के सुचारू विपणन हेतु मंडी अधिनियम में प्रावधान :- देश के फूल उत्पादकों को फूल के प्रतिस्पर्धात्मक मूल्य दिलाने एवं फूलों के उत्पादन को प्रोत्साहित करने की दृष्टि से शासन द्वारा मंडी अधिनियम की धारा 60 के अन्तर्गत कृषि उपजों की '' अनुसूची '' में फूलों को म0प्र0 राजपत्र असाधारण में प्रकाशित अधिसूचना दिनांक 01 फरवरी 2005 द्वारा सम्मिलित किया गया ताकि प्रदेश में फूल उत्पादकों को सुचारू विपणन व्यवस्था के माध्यम से अधिकाधिक मूल्य प्राप्त हो सके तथा प्रदेश में फूलों के सुचारू विपणन हेतु फूल मंडियों की स्थापना की जा सके।
  • कृषि औषधीय उपज के सुचारू विपणन हेतु मंडी अधिनियम में प्रावधान :- प्रदेश में कृषि औषधीय उपजों को सुचारू विपणन व्यवस्था प्राप्त हो इसी उद्वेश्य से कृषि औषद्यीय उपजों को मंडी अधिनियम की ''अनुसूची'' में सम्मिलित किया गया है।
  • इलेक्ट्रॉनिक एक्सचेंज के माध्यम से स्पॉट ट्रेडिंग की सुविधा :- मध्यप्रदेश कृषि उपज मंडी (एक से अधिक मंडी क्षेत्रों के लिये विशेष अनुज्ञप्ति) नियम 2009 के तहत स्पॉट ट्रेडिंग की सुविधा उपलब्ध कराई गई है।
  • फल-सब्जी विक्रय की वैकल्पिक सुविधा :- मध्यप्रदेश कृषि उपज मंडी अधिनियम 1972 की धारा 6 में मध्यप्रदेश कृषि उपज मंडी (तृतीय संशोधन) अधिनियम 2011 से संशोधन किया जाकर फल-सब्जी को मंडी प्रांगण के बाहर विक्रय करने की वैकल्पिक सुविधा उपलब्ध कराई गई है। मंडी प्रांगण के बाहर क्रय-विक्रय की गई फल-सब्जी को विनियमन से मुक्त रखा गया है।
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